
एमआईटी के वैज्ञानिकों ने ट्यूमर सेल के उत्पन्न होने के दर को मापने के लिए विकसित की तकनीक
कैंसर एक ऐसी खतरनाक बीमारी है, जिससे शरीर के किसी भी हिस्से की कोशिकाएं अनियंत्रित ढंग से विभाजित होने लगती हैं। कैंसर का शरीर के एक हिस्से से दूसरे हिस्से में फैलाव और इसके उपचार की जटिलताओं और गुत्थियों को सुलझाने के लिए वैज्ञानिक निरंतर प्रयास कर रहे हैं। इसी क्रम में मैसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट आफ टेक्नोलॉजी (एमआइटी) के शोधकर्ताओं ने एक ऐसा तकनीक विकसित किया है, जिससे चूहों में सर्कूलेटिंग ट्यूमर सेल (सीटीसी) के उत्पन्न होने की दर और रक्त प्रवाह में उसके बने रहने के समय का आकलन किया जा सका है। इससे वैज्ञानिकों को यह पता करने में सहायता मिलेगी कि विभिन्न प्रकार के कैंसर किस रफ्तार से शरीर में फैलते हैं।
“चूहों के बीच खून की अदला-बदली से रियल टाइम में इसका प्रत्यक्ष आकलन किया कि सीटीसी कितनी जल्दी ब्लड सर्कुलेशन में प्रवेश करते हैं और उन्हें साफ होने में कितना समय लगता है। अपनी नई तकनीक के जरिए पैनक्रिएटिक तथा फेफड़े के दो प्रकार के ट्यूमरों से निकलने वाले सीटीसी का अध्ययन करने में कामयाब हो सके हैं।”
-स्कॉट मनालिस, नेचर कम्यूनिकेशंस जर्नल में प्रकाशित शोधपत्र के मुख्य लेखक
गौरतलब है कि जब शरीर के किसी हिस्से में ट्यूमर बढ़ता है तो वह तेजी से कोशिकाएं बनाता है, जो रक्त प्रवाह (ब्लडस्ट्रीम) में आ जाती हैं। ये कोशिकाएं इसके माध्यम से शरीर के दूसरे अंगों तक पहुंच जाती हैं और नए ट्यूमर उत्पन्न करती हैं। इसे मेटास्टैसिस कहा जाता है। इस शोध के तहत शोधकर्ताओं ने एक ऐसा सिस्टम बनाया, जिससे कि ट्यूमर वाले एक चूहे से खून निकाल कर स्वस्थ चूहे में डाल सकें। इसके बाद एक अलग ट्यूब के जरिए स्वस्थ चूहे से खून को ट्यूमर वाले चूहे तक वापस पहुंचाया गया। इस तरीके से शोधकर्ता एक घंटे से भी कम समय में दोनों चूहों के पूरे खून का विश्लेषण कर सके। अध्ययन के क्रम में शोधकर्ताओं ने तीन प्रकार के ट्यूमरों का विश्लेषण किया, जिसमें पैनक्रिएटिक (अग्नाशय) कैंसर और स्माल सेल लंग कैंसर व नॉन-स्माल सेल लंग कैंसर सम्मिलित हैं। इस अध्ययन का विस्तृत विवरण नेचर कम्यूनिकेशंस जर्नल में प्रकाशित किया गया है।

परिणामस्वरूप शोधकर्ताओं ने पाया कि तीनों प्रकार के कैंसर के मामलों में सीटीसी की हाफ लाइफ लगभग समान ही थी, जो 40 सेकेंड से 250 सेकेंड थी। जबकि उनके उत्पन्न होने की दर में काफी अंतर था। स्माल सेल लंग ट्यूमर प्रति घंटे एक लाख सीटीसी पैदा कर सकता है, जबकि नॉन स्माल सेल लंग ट्यूमर और पैनक्रिएटिक ट्यूमर से प्रति घंटा 60 सीटीसी ही पैदा होते हैं। स्वस्थ चूहे में कुछेक हजार सीटीसी जाने के बाद मेटास्टैसिस शुरू हो गया। स्माल सेल लंग ट्यूमर के सीटीसी से स्वस्थ चूहे के लिवर में भी ऐसा ही मेटास्टैसिस हुआ।
शोधकर्ताओं का दावा है कि इस तकनीक के इस्तेमाल से यह पता लगाया जा सकता है कि विभिन्न प्रकार की औषधियाँ सीटीसी स्तर को किस प्रकार से प्रभावित करती हैं। इसके जरिए रियल टाइम में सीटीसी का कंसंट्रेशन का पता लगाकर उचित औषधि देना संभव होगा। साथ ही सीटीसी की हाफ लाइफ और उसके उत्पन्न होने की दर को भी नियंत्रित करने की संभावना तलाशी जा सकती है।