देश में सबसे पहले सुपर कंप्यूटर अमेरिका से लाने की कोशिश हुई थी, लेकिन तब अमेरिका ने भारत को सुपर कंप्यूटर देने से इनकार कर दिया था। इसके बाद 1988 में स्वदेशी तरीके से सुपर कंप्यूटर बनाने की शुरुआत हुई। इसके लिए सेंटर फार डेवलपमेंट आफ एडवांस्ड कंप्यूटिंग यानी ‘सी-डैक’ की स्थापना की गई। सी-डैक की स्थापना के सिर्फ तीन साल के भीतर ही भारतीय विज्ञानियों ने सुपर कंप्यूटर परम तैयार कर दुनिया को आश्चर्यचकित कर दिया। 

ले ही आज देश विज्ञान व तकनीक के क्षेत्र में अव्वल हो, लेकिन एक समय ऐसा भी था, जब भारत अमेरिका से सुपर कंप्यूटर लाना चाहता था, लेकिन अमेरिका ने इनकार कर दिया था। उस समय संयुक्त राज्य अमेरिका और कुछ अन्य यूरोपीय देशों ने सुपर कंप्यूटर विकसित कर लिए थे, जो उपग्रहों और परमाणु हथियारों के विकास के लिए महत्वपूर्ण थे। अमेरिका और यूरोप को डर था कि कहीं भारत सुपर कंप्यूटर का उपयोग मौसम भविष्यवाणी के बजाय मिसाइलों और युद्धक विमानों को डिजाइन करने में न करने लगे। अमेरिका द्वारा इनकार किए जाने के बाद भारत में मार्च 1988 में सेंटर फार डेवलपमेंट आफ एडवांस्ड कंप्यूटिंग यानी सी-डैक की स्थापना की गई। फिर कुछ वर्षो में ही भारतीय विज्ञानियों ने अपने दम पर स्वदेशी तरीके से पहला सुपर कंप्यूटर ‘परम’ तैयार कर दुनिया को हैरान कर दिया।

सुपर कंप्यूटर ‘परम 8000’

भारत को विज्ञान और तकनीक के क्षेत्र में आगे बढ़ने के लिए सुपर कंप्यूटर की जरूरत थी। 1980 के दशक की शुरुआत में सुपर कंप्यूटर खरीदने के लिए अमेरिकी कंपनी क्रे से संपर्क किया गया। उस समय अमेरिकी नीतियां कड़ी थीं। किसी भी अमेरिकी कंपनी को अपना सामान विदेश में बेचने के लिए सरकार से अनुमति लेनी पड़ती थी। कंपनी ने जब भारत को सुपर कंप्यूटर बेचने से पहले अमेरिकी सरकार से मंजूरी मांगी तो सरकार ने इनकार कर दिया। इसके बाद वर्ष 1988 में डिपार्टमेंट आफ इलेक्ट्रानिक्स और इसके तत्कालीन डायरेक्टर डा. विजय भटकर की अगुवाई में सी-डैक को तीन साल का समय दिया गया। सी-डैक के विज्ञानियों ने 1990 में सुपर कंप्यूटर का प्रोटोटाइप माडल तैयार कर लिया। फिर 1990 में ज्यूरिख (स्विट्जरलैंड) सुपर कंप्यूटर शो में इस सुपर कंप्यूटर ने दुनियाभर के सुपर कंप्यूटरों को पीछे छोड़ते हुए दूसरा स्थान हासिल किया, केवल अमेरिका का सुपर कंप्यूटर ही भारत से आगे था। फिर जुलाई 1991 में देश का पहला सुपर कंप्यूटर ‘परम 8000’ सामने आया। यह भारत का अपना खुद का बनाया सुपर कंप्यूटर था। इसका नाम ‘परम’ संस्कृत से लिया गया था। यह उस समय दुनिया का दूसरा सबसे तेज सुपर कंप्यूटर था। परम 8000 ने हाई-परफार्मेस कंप्यूटरों की एक पूरी सीरीज के लिए मंच तैयार किया, जिसे ‘परम सीरीज’ कहा जाता है। हाल ही में इंडियन इंस्टीट्यूट आफ साइंस में सुपर कंप्यूटर ‘परम प्रवेगा’ को राष्ट्रीय सुपर कंप्यूटिंग मिशन के तहत स्थापित किया गया है। इस तरह भारत ने दिखा दिया कि उसके विज्ञानी खुद भी आविष्कार कर सकते हैं।

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