
हाल ही में जापानी शोधकर्ताओं की एक टीम ने अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया और कनाडा में अलग-अलग समय पर गिरे तीन उल्का पिंडों में वे सभी पांच जैव रासायनिक घटक ढूंढ निकालें हैं, जिनसे डीएनए और आरएनए का निर्माण होता है। इस खोज के बरक्स शोधकर्ताओं ने दावा किया है कि उल्कापिंडों के जरिए ही बाह्य अंतरिक्ष से वे सभी जैव रसायन पृथ्वी पर आए, जिनसे पृथ्वी पर जीवन की उत्पत्ति हुई। इस अध्ययन के विस्तृत विवरण नेचर कम्युनिकेशंस जर्नल के हालिया अंक में प्रकाशित हुए हैं।
जीव विज्ञानियों के लिए यह अभी भी एक अनसुलझी गुत्थी है कि पृथ्वी पर जीवन निर्माण के बीज (मूलभूत तत्व) कहीं बाहर से आए थे अथवा यहीं पर विकसित हुए थे? पृथ्वी पर जीवन बाहरी अंतरिक्ष से आया है, इस मान्यता को ‘पैनस्पर्मिया’ सिद्धांत के नाम से जाना जाता है। चूंकि सही मायनों में पैनस्पर्मिया सिद्धांत यह नहीं बताता कि जीवन की उत्पत्ति कब और कैसे हुई, बल्कि यह उत्पत्ति के फोकस को पृथ्वी से दूर अंतरिक्ष में कर देता है, इसलिए अब तक इसे हकीकत की बजाय एक कल्पना के तौर पर ही लिया जाता रहा है। लेकिन अब जापानी शोधकर्ताओं द्वारा उल्कापिंडों के विश्लेषण ने यह पक्के तौर पर दिखाया है कि जीवन के जैव रासायनिक घटक पृथ्वी पर बाह्य अंतरिक्ष से आए थे।
शोधकर्ताओं ने तीन कार्बनिक उल्कापिंडों में पांच मूलभूत न्यूक्लियोबेसिस की खोज की है। न्यूक्लियोबेसिस नाइट्रोजनयुक्त वे जैविक यौगिक होते हैं जो डीएनए और आरएनए का निर्माण करते हैं। विज्ञानी मुख्य रूप से डीएनए और कुछ हद तक आरएनए को जीवन का आधार मानते हैं। डीएनए और आरएनए, दोनों के निर्माण में राइबोज नामक एक विशेष शर्करा (शुगर) की जरूरत होती है। कार्बनयुक्त उल्कापिंडों में राइबोज की खोज काफी पहले की जा चुकी है। जिन तीन उल्कापिंडों का जैव रासायनिक विश्लेषण जापानी शोधकर्ताओं ने किया है, उनमें राइबोज के साथ-साथ डीएनए-आरएनए का निर्माण करने वाले 5 न्यूक्लियोटाइड्स – एडेनिन (ए), गुआनिन (जी), साइटोसिन (सी), थाइमिन (टी) और यूरासिल (यू) भी पाए गए हैं।
जापान की होक्काइडो यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर यासुहिरो ओबा ने अपने आधिकारिक बयान में कहा है कि हमें न्यूक्लियोबेसिस सहित कई जैविक सामग्री मिले हैं जो हमारे जीवन के बुनियादी ब्लॉक्स हैं। उन्होंने कहा कि ये चार अरब साल पहले क्षुद्रग्रहों, उल्कापिंडों, धूमकेतुओं और ग्रहों की धूल के कणों से धरती पर लाए गए होंगे, जब हमारे ग्रह पर अंतरिक्ष के मलबे की बमबारी हो रही थी। ओबा ने कहा कि हमारा मानना है कि इन सामग्रियों ने पृथ्वी पर जीवन के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। यह बहुत ही रोमांचक खोज है जो हमारी इस समझ का विस्तार करती है कि जीवन कैसे शुरू हुआ।
शोधकर्ताओं ने जिन तीन उल्कापिंडों का अध्ययन किया है, उनमें से एक 1950 में अमेरिका में मरे शहर के करीब गिरा था। दूसरा 1969 में ऑस्ट्रेलिया के विक्सोरिया राज्य के मर्चीसन शहर में गिरा था और तीसरा उल्कापिंड 2000 में कनाडा के ब्रिटिश कोलंबिया प्रांत की झील टैगिश झील के नजदीक गिरा था। इन तीनों उल्कापिंडों को कार्बनेशस कॉन्ड्राइट्स की श्रेणी में रखा गया है। बहरहाल, शोधकर्ताओं का कहना है कि पृथ्वी पर जीवन की उत्पत्ति से संबंधित रासायनिक प्रक्रियाओं के बारे में अभी काफी कुछ जानने व खोजने की जरूरत है। यह अध्ययन महज उन रासायनिक यौगिकों की सूची में कुछ नया जोड़ती है जिससे पृथ्वी पर जीवन के ठीक पहले की स्थितियों का पता लगाया जा सकेगा।