क्या रोकी जा सकेगी प्रीमैच्योर डिलिवरी?

जन्म और मृत्यु के समय की भविष्यवाणी करना बड़ा ही कठिन है। डॉक्टर जन्म की तारीख या सप्ताह का अनुमान बताते हैं, लेकिन बच्चे का जन्म पहले या बाद में होना सामान्य बात है। ऐसे में समय से पूर्व जन्म होने पर बच्चे को इन्क्यूबेटर (Incubator) में रखने की जरूरत पड़ सकती है और उन्हें संक्रमण का भी खतरा ज्यादा होता है। ऐसे में स्वाभाविक सवाल है क्या समय पूर्व जन्म (प्रीमैच्योर बर्थ) की भविष्यवाणी की जा सकती है?  हालिया अध्ययन में इसका जबाव खोजा गया है। इसके मुताबिक, यह भविष्यवाणी संभव है। यह अध्ययन साइंटिफिक रिपोर्ट्स जर्नल में प्रकाशित हुआ है।

शोधकर्ताओं ने समय पूर्व जन्म लेने वाले बच्चे के माता-पिता के गाल की कोशिकाओं में विशिष्टता (uniqueness) की खोज की है। इसके जरिये यह जांच विकसित करने में मदद मिल सकती है कि गर्भ पूरे समय तक रहेगा या बच्चे का जन्म पहले ही हो जाएगा। इस जांच से समय पूर्व जन्म रोकने में मदद मिल सकती है, जिससे डाक्टर बच्चों के स्वास्थ्य पर होने वाले आशंकित दुष्प्रभावों को लेकर भी सतर्क हो सकेंगे और उसकी रोकथाम के उपाय समय से किए जा सकते हैं।

शोधकर्ताओं ने बच्चों को समय पूर्व जन्म देने वाली माताओं में 100 से ज्यादा एपिजेनेटिक बायोमार्कर (epigenetic biomarkers) खोजे हैं, जो गर्भावस्था पूरा करने वाली माताओं से बिल्कुल अलग हैं। इतना ही नहीं, पिता में भी कुछ ऐसे बायोमार्कर पाए गए हैं, जो बच्चे के समय पूर्व जन्म होने के खतरे को इंगित करने के लिए अहम साबित हुए हैं।

अध्ययन के लेखक वाशिंगटन स्टेट यूनिवर्सिटी के स्कूल आफ बायोलाजिकल साइंसेज में प्रोफेसर माइकल स्किनर ने बताया कि हमने जो विश्लेषण किए हैं, उनमें ये सिग्नेचर (बायोमार्कर) माता-पिता में पाए गए हैं। इसलिए इससे एक बड़ी ही उपयोगी जांच हो सकती है। इसके लिए गाल से निकलने वाले लार से बक्कल सेल का इस्तेमाल किया गया, जो एकत्र करना बेहद आसान है।

बता दें कि एपिजेनेटिक्स मालीक्यूलर फैक्टर होते हैं और इसकी प्रक्रिया डीएनए के आसपास होती है, जिससे तय होता है कि जीन किस प्रकार से व्यवहार करेगा। डीएनए की क्रमबद्धता से स्वतंत्र एपिजेनेटिक में बदलाव – विषाक्तता, कुपोषण, अल्कोहल और आनुवंशिक कारणों से भी होता है।

स्किनर के मुताबिक, शोधकर्ताओं ने यह भी पाया कि समय से पूर्व जन्म लेने वाली लड़कियों में भी 100 से ज्यादा वे बायोमार्कर होते हैं, जो इस बात का संकेत देते हैं कि यह अगली पीढ़ी में भी हो सकता है। अगली पीढ़ी में ऐसी संभावना की पुष्टि गाल की कोशिकाओं में पाए जाने वाले सिग्नेचर से भी होती है।

इस अध्ययन के लिए शोधकर्ताओं ने माता-पिता-नवजात के गाल के स्वैब का नमूना लिया। इनमें 19 नमूने समय पूर्व जन्म लेने वाले बच्चे और उनके माता-पिता के थे तथा 21 नमूने सही समय पर जन्म लेने वाले बच्चों के समूह के थे। एपिजेनेटिक विश्लेषण में पाया गया कि समय पूर्व जन्म लेने वाली लड़कियों में तो उनके माता-पिता के साथ ही सिग्नेचर मौजूद थे, लेकिन समय पूर्व जन्म लेने वाले लड़कों में ऐसा नहीं था।

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