
वीडियो गेमिंग के बारे में आम धारणा है कि यह लोगों को मोटा और आलसी बना देता है। खासकर बच्चों में इसकी आदत उन्हें आउटडोर गेम से अलग रखता है। इसके साथ ही ज्यादा स्क्रीन टाइम होने से उनकी आंखों पर भी दुष्प्रभाव होता है। लेकिन इसे अगर थोड़ा सा अलग रूप दे दें तो यह उन दुष्प्रभावों से निकाल कर आपके स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद भी हो सकता है। यूनिवर्सिटी ऑफ जार्जिया के शोधकर्ताओं ने पाया है कि एक्सरगेमिंग या एक्टिव वीडियो गेमिंग (exergaming or active video gaming) शरीर को पूर्ण रूप से सक्रिय रखने में मदद कर सकता है और ये गतिविधियां आपके सेहत के लिए अच्छा साबित हो सकती हैं। यह निष्कर्ष ‘इंटरनेशनल जर्नल ऑफ स्पोर्ट एंड एक्सरसाइज साइकोलाजी’ (International Journal of Sport and Exercise Psychology) में प्रकाशित हुआ है।
शोधकर्ताओं का मानना है कि इसके लिए लोग अपनी पसंद के गेम चुन सकते हैं। डांस डांस रिवोल्यूशन, ईए स्पोर्ट्स एक्टिव और बीट सावेर जैसे कुछ लोकप्रिय एक्सरगेम हैं। ये गेम पारंपरिक स्थूल रखने वाले खेलों से अलग हैं। इस अध्ययन में पाया गया कि एक्सरगेम से एक प्रकार की स्वतंत्रता का अनुभव होता है और व्यायाम से हिचक या परहेज की प्रवृत्ति से पार पाया जा सकता है।
क्या है एक्सरगेमिंग?
इसे फिटनेस गेम भी कहते हैं। वीडियो गेम के साथ व्यायाम करने की गतिविधि के लिए इस शब्द का प्रयोग किया जाता है। इसलिए इसे भी एक प्रकार का व्यायाम ही माना जाता है। एक्सरगेमिंग तकनीक आधारित है, जिससे शरीर की गति या प्रतिक्रिया को ट्रैक किया जा सकता है। इसे सक्रिय जीवनशैली के रूप में अपनाया जा सकता है।

अध्ययन के लेखक मेरी फ्रांसिस अर्ली कालेज ऑफ एजुकेशन में डिपार्टमेंट आफ काइनसियोलाजी (शरीर गति विज्ञान) के प्रोफेसर सामी येली-पिपारी का कहना है कि जब व्यक्ति खुद स्वायत्त या स्वतंत्र महसूस करता है तो वह खुद से व्यायाम से एक्सरगेम के लिए ज्यादा प्रवृत्त होता है। उन्हें ऐसा लगता है कि वे जो कुछ कर रहे हैं खुद के लिए है। इसलिए वे ज्यादा सक्रिय रहते हैं।
अध्ययन का स्वरूप
इस अध्ययन में 55 ऐसे लोगों को शामिल किया गया, जिनकी शारीरिक सक्रियता प्रति सप्ताह 150 मिनट मानक से कम थी। इन प्रतिभागियों को छह सप्ताह तक प्रति सप्ताह तीन क्लास एक्सरगेम या पारंपरिक एरोबिक्स में से किसी भी गतिविधि में शामिल होने को कहा गया। एक्सरसाइज के दौरान प्रतिभागियों की शारीरिक गतिविधियां एक्सीलेरोमीटर्स से मापी गई। साथ ही हृदय गति को भी मापा गया। इनसे यह पता लगाया गया कि प्रतिभागी कितनी मेहनत करने का जज्बा रखते हैं। इसके साथ ही शोधकर्ताओं ने इन गतिविधियों के दौरान उनकी खुशी और वर्कआउट के लिए प्रेरित होने का भी आकलन किया।
क्या निकले नतीजे?
जिन लोगों को पारंपरिक व्यायाम करने को कहा गया, उन्होंने एक्सरगेमिंग वालों से ज्यादा परिश्रम किए। उन्हें ऐसा लगता रहा कि कोई कठिन परिश्रम के लिए निगरानी कर रहा हो। लेकिन एक्सरगेमर्स के पास अच्छा समय था। उनमें रूटीन व्यायाम करने से अलग स्वतंत्र अनुभूति थी। इसलिए वे ज्यादा गतिविधि करने को स्वतंत्र महसूस कर रहे थे। शोधकर्ताओं की सलाह है कि जब कभी आप कोई गेम खरीदें तो यह ध्यान रखें कि उसमें कुछ शारीरिक सक्रियता बनाए रखने की भी जरूरत हो। बहुत सारे बच्चे या बड़े भी इस तरह के वीडियो गेम खेलते वक्त यह महसूस ही नहीं कर रहे होते हैं कि वे व्यायाम कर रहे हैं।