
अंतरिक्ष यात्रियों ने जब पिछली सदी में अंतरिक्ष से पृथ्वी को देखा तो इसकी खूबसूरती को देख इसे ‘ब्लू प्लानेट’ यानी नीला ग्रह नाम दिया। पृथ्वी की सतह 70 प्रतिशत समुद्रों से घिरी है। ज़्यादातर सतह जलीय होने की वजह से अंतरिक्ष से इसका रंग नीला दिखाई देता है। सवाल उठता है कि पृथ्वी पर पानी कब, कहाँ से और कैसे आया? ये ऐसे सवाल हैं जिनका जवाब वैज्ञानिक एक लंबे अर्से से ढूंढने की कोशिश कर रहे हैं।
हाल ही में जापान और अन्य देशों के विज्ञानियों ने जापानी अंतरिक्ष मिशन हायाबुसा-2 द्वारा इकट्ठे किए गए चट्टानों और धूलकणों के दुर्लभ नमूनों का विश्लेषण करने के बाद पृथ्वी पर पानी की उत्पत्ति संबंधी अहम सवालों से जुड़े कुछ अहम सुराग मिलने का दावा किया है। पृथ्वी पर पानी की उत्पत्ति को लेकर विज्ञान जगत में अनेक विचार तथा परिकल्पनाएं प्रचलित हैं जिन्हें मौटे तौर पर दो सिद्धांतों में बांटा जा सकता है। पहले सिद्धांत के मुताबिक पानी की उत्पत्ति पृथ्वी के जन्म के साथ हुई है। जबकि दूसरे सिद्धांत के मुताबिक पानी, पृथ्वी के बाहर से आया है। लब्बोलुआब यह है कि पृथ्वी पर पानी का जन्म कैसे और कब हुआ, अभी भी अस्पष्ट है।
विज्ञानी इस बात पर एकमत हैं कि दूसरे ग्रहों की सतह पर पानी नहीं हैं। और यह कि जब ग्रह बन रहे थे तब मंगल के पृथ्वी से टकराने पर चंद्रमा की उत्पत्ति हुई थी। अगर उस समय पृथ्वी पर पानी था तो इस घटना के बाद पृथ्वी की सतह से पानी वाष्प बनकर उड़ गया होगा, यह निश्चित है। इस घटना के बाद पृथ्वी पर पानी कैसे आया इस बारे में दो मत हो सकते हैं। या तो हमारे ग्रह पर पानी बाहर से आया। मसलन पृथ्वी से कोई ऐसा क्षुद्रग्रह टकराया हो जिसमें बर्फ या पानी की प्रचुरता हो और वह पृथ्वी पर आ गया हो। या फिर मंगल और पृथ्वी का टकराव ही इतना बड़ा न हुआ हो जिससे पूरा पानी वाष्प बनकर उड़ जाए।
चूंकि पानी पृथ्वी पर जीवन का आधार है इसलिए वैज्ञानिकों की इस बात में गहरी दिलचस्पी है कि यहां पानी आया कहां से। इस सवाल का जवाब ढूंढने में सबसे बड़ी समस्या यह है कि पृथ्वी के निर्माण के सारे चिन्ह उसके पूर्ण ग्रह बनने के बाद मिट चुके हैं। इस चुनौती के बीच नेचर एस्ट्रोनामी जर्नल के हालिया अंक में प्रकाशित अध्ययन रिपोर्ट में शोधकर्ताओं ने दावा किया है कि पृथ्वी पर पानी सौरमंडल के बाहरी किनारों से एस्टेरोइड यानी क्षुद्रग्रहों के जरिए आया था।
जीवन और पानी की उत्पत्ति से जुड़े अनसुलझे सवालों के जवाब ढूंढने के लिए, शोधकर्ताओं ने 2020 में रयुगु एस्टेरोइड से पृथ्वी पर लाए गए दुर्लभ नमूनों का विश्लेषण किया। विश्लेषण के बाद शोधकर्ताओं की एक टीम ने जून में कहा था कि उन्हें मिले कार्बनिक पदार्थों से पता चलता है कि पृथ्वी पर जीवन निर्माण में शामिल रहे अमीनो अम्ल शायद अंतरिक्ष में ही बने होंगे। हालिया अध्ययन में कहा गया है कि रयुगु के नमूने इस रहस्य का सुराग दे सकते हैं कि अरबों साल पहले पृथ्वी पर महासागरों की उत्पत्ति कैसे हुई होगी। इस अध्ययन के मुताबिक वाष्पशील और कार्बनिक तत्वों से लबालब सी-टाइप के क्षुद्रग्रह ही शायद पृथ्वी पर पानी के मुख्य स्रोत रहे होंगे। बहरहाल, इस अध्ययन का पृथ्वी, शुक्र और यहां तक कि मंगल पर भी पानी और जीवन संबंधी हालातों की जांच-पड़ताल पर असर पड़ेगा।