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लेखक: मुकुल व्यास

हम काफी अर्से से मंगल पर मानव भेजने की योजनाओं के बारे में सुन रहे हैं। इस लाल ग्रह पर मनुष्य की यात्रा कब संभव हो पाएगी, यह कहना बड़ा मुश्किल है। इस समय उपलब्ध टेक्नोलाजी के हिसाब से मंगल की यात्रा के लिए कम से कम 21 महीने चाहिए। नौ महीने जाने, तीन महीने रुकने और नौ महीने लौटने के। अंतरिक्ष में इतनी लंबी यात्रा में कई जोखिम हैं। मनुष्य जितना ज्यादा अंतरिक्ष में रहेगा, उस पर रेडिएशन का खतरा भी ज्यादा रहेगा। इसके अलावा लंबी यात्रा के लिए खाद्य वस्तुओं, ईंधन और पानी समुचित मात्रा में चाहिए। यदि यात्रा का समय घट जाए तो अंतरिक्ष यात्रियों की कई मुश्किलें हल हो सकती हैं।

कनाडा के इंजीनियरों का दावा है कि एक लेजर-आधारित सिस्टम से मंगल की यात्रा 45 दिन में पूरी की जा सकती है। उन्होंने एक लेजर-आधारित तापीय संचालन प्रणाली विकसित की है जिसमें हाइड्रोजन ईंधन को जलाने के लिए लेजर का प्रयोग किया जाता है। यह एक निर्देशित ऊर्जा संचालन सिस्टम है जिसमें पृथ्वी से बड़ी लेजर तरंगें दाग कर अंतरिक्ष यान के सोलर सेल सिस्टम को ऊर्जा भेजी जाती है। इससे बिजली बनती है और वेग उत्पन्न होता है। इस वेग से अंतरिक्ष यान बहुत शीघ्र गति हासिल कर लेता है और मंगल की ओर अग्रसर हो जाता है। नए सिस्टम पर आधारित यान मुख्य वाहन को मंगल पर उतार देगा। शेष वाहन पृथ्वी पर लौट आएगा जिसे दूसरी उड़ान के लिए तैयार किया जा सकेगा। अभी छह हफ्ते में मंगल पर तभी पहुंचा जा सकता है जब रॉकेट को परमाणु ऊर्जा से संचालित किया जाए, लेकिन इससे रेडिएशन का खतरा बढ़ जाएगा।

सांकेतिक तस्वीर

अंतरिक्ष यानों को गति देने के लिए निर्देशित ऊर्जा संचालन प्रणाली के प्रयोग का विचार नया नहीं है। पारलौकिक दुनिया खोजने के उद्देश्य से बने ब्रेकथ्रू स्टारशाट प्रोजेक्ट में भी यही तकनीक अपनाने की बात कही गई है। नई प्रणाली लेजर की ताकत पर निर्भर है। इस सिस्टम से मंगल पर 90 किलो का अंतरिक्ष यान भेजने में तीन दिन लगेंगे। इससे बड़े अंतरिक्ष यान को एक महीने से लेकर छह हफ्ते का समय लग सकता है। इस सिस्टम के लिए पृथ्वी पर एक गीगावॉट (एक अरब वॉट) पावर का लेजर सिस्टम स्थापित करना पड़ेगा। यहां से लेजर तरंगों को अंतरिक्ष यान से जुड़े प्रकाश-पाल की तरफ निर्देशित किया जाएगा जिससे अंतरिक्ष यान की गति तेज हो जाएगी। जिस तरह जहाजों पर लगे पाल हवाओं से गति पा कर जहाज को आगे बढ़ाते हैं, उसी तरह प्रकाश-पाल अंतरिक्ष यान को आगे बढ़ाते हैं। अंतरिक्ष यान प्रकाश की गति से तो आगे नहीं बढ़ सकता, पर लेजर के प्रयोग से वह प्रकाश की गति का कुछ अंश जरूर प्राप्त कर सकता है। अंतरिक्ष यानों का लेजर-निर्देशित संचालन फिलहाल एक सपना है जिसे पूरा करने के लिए कई चुनौतियों से निपटना पड़ेगा।  (लेखक विज्ञान मामलों के जानकार हैं)

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