खगोलविदों के अंतरराष्ट्रीय दल ने तलाशी, एचडी1 दिया है आकाशगंगा को नाम

ब्रह्मांड में इतने रहस्य, तारे और आकाशगंगाएं हैं कि शायद ही कभी सब पर से पर्दा उठ सके। यही वजह है कि खगोलविद निरंतर आकाश में नई खोज करते रहते हैं। अब खगोलविदों के एक अंतरराष्ट्रीय दल ने अब तक की सबसे दूर स्थित आकाशगंगा का पता लगाने का दावा किया है। पृथ्वी से 13.5 अरब प्रकाश वर्ष की दूरी पर स्थित इस आकाशगंगा को खगोलविदों ने एचडी1 नाम दिया है। हालांकि, इसकी पुष्टि के लिए उन्होंने और अध्ययन की आवश्यकता बताई है। उनका कहना है कि संभवत: इसका निर्माण बिग बैंग के 30 करोड़ वर्ष बाद हुआ था। इस खोज के परिणाम ‘द एस्ट्रोफिजिकल जर्नल’ में प्रकाशित किए गए हैं।

तारों का हो रहा है निर्माण

सेंटर फॉर एस्ट्रोफिजिक्स में खगोलशास्त्री फैबियो पास्कुची के मुताबिक एचडी1 पराबैंगनी प्रकाश में अत्यंत चमकीली दिखाई देती है। इससे अनुमान लगाया जा सकता है कि वहां कुछ ऊर्जावान प्रक्रियाएं हो रही हैं या फिर अरबों वर्ष पहले हो चुकी हैं। शुरुआत में खगोलविदों को लगा कि एचडी1 एक स्टारबस्र्ट आकाशगंगा है। यानी एक ऐसी आकाशगंगा जो बहुत तेज दर से तारों का निर्माण कर रही है। हालांकि, बाद में गणना करने पर एक अविश्वसनीय दर प्राप्त हुई। एचडी1 हर वर्ष 100 से ज्यादा तारों का निर्माण कर रही थी। यह इस तरह की आकाशगंगाओं के लिए अपेक्षा से कम से कम 10 गुना अधिक है। तब खगोलविदों के दल को संदेह हुआ कि एचडी1 रोजाना सामान्य रूप से तारों का निर्माण नहीं कर रही है।

हो सकती हैं दो स्थितियां

खगोलविदों के दल ने इस खोज को लेकर दो विचार प्रस्तुत किए हैं। पहला यह कि उनका मानना है कि संभवत: एचडी1 आश्चर्यजनक दर से सितारों का निर्माण कर सकती और हो सकता है कि यह ब्रह्मांड के शुरुआती तारों में हो, जिसे अब तक नहीं देखा गया था। दूसरा यह कि एचडी1 में सूर्य के द्रव्यमान का लगभग 10 करोड़ गुना सुपरमैसिव ब्लैक होल हो।

यह हो सकती है संभावना

ब्रह्मांड में बनने वाले तारों की पहली आबादी आधुनिक तारों की तुलना में अधिक विशाल, अधिक चमकदार और गर्म थी। यदि हम मान लें कि एचडी1 में निर्मित तारे ये पहले हैं या पापुलेशन3 हैं तो इसके गुणों को अधिक आसानी से समझाया जा सकता है। वास्तव में पापुलेशन3 तारे सामान्य सितारों की तुलना में अधिक प्रकाश उत्पन्न करने में सक्षम हैं। हो सकता है कि इस वजह से एचडी1 पराबैंगनी में अधिक चमक रही हो।

चुनौतीपूर्ण है जानकारी जुटाना

सेंटर फार एस्ट्रोफिजिक्स मेंखगोलशास्त्री फैबियो पास्कुची के मुताबिक, इतनी दूर स्थित स्रोत की प्रकृति के सवालों का सही जवाब देना चुनौतीपूर्ण काम हो सकता है। यह समुद्र में दूर घने कोहरे के बीच खड़े एक ऐसे जहाज के देश का पता लगाने जैसा ही है, जिसके झंडे के कुछ रंग और आकार तो दिख सकते हैं, लेकिन उसे पूरी तरह से नहीं देखा जा सकता है। शुरुआती ब्रह्मांड के पिंडों की पड़ताल करना बहुत मुश्किल काम है।

इस तरह की गई खोज 

एचडी1 को सुबारू टेलीस्कोप, वीआइएसटीए टेलीस्कोप, यूके इन्फ्रारेड टेलीस्कोप और स्पिट्जर स्पेस टेलीस्कोप के साथ 1,200 घंटे से अधिक समय के अवलोकन के बाद खोजा गया।

Credit: Harikane et al.

जेम्स वेब स्पेस टेलीस्कोप का उपयोग करते हुए खगोलविदों का दल जल्द ही एक बार फिर से पृथ्वी से दूरी को सत्यापित करने के लिए एचडी1 का निरीक्षण करेगा। यदि वर्तमान गणना सही साबित होती है, तो एचडी1 अब तक दर्ज की गई सबसे दूर और सबसे पुरानी आकाशगंगा होगी।

मानवता के लिए क्यों महत्वपूर्ण है यह खोज?

यह  खोज हमारे लिए इसलिए भी महत्वपूर्ण  है क्योंकि, इससे हमारे ब्रह्मांड के पहले बने सितारों के बारे में पता चलता है। जिससे हम ब्रह्मांड के बनने के वास्तविक कारण और प्रक्रिया के बारे में भी काफी कुछ जान सकते हैं। इसके साथ ही यह खोज भविष्य में हमें जीवन की उत्पत्ति के बारे में भी काफी कुछ बता सकती है, क्योंकि अगर ब्रह्मांड के शुरुआती सितारों में फ्यूजन से भारी तत्व नहीं बनते, तो शायद ही आज किसी भी तरह के जीवन का अस्तित्व होता!

स्रोत: https://www.aninews.in/news/science/astronomers-have-discovered-the-most-distant-galaxy-ever20220420184941/

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