
-सुभाष चंद्र लखेड़ा (वरिष्ठ विज्ञान लेखक)
वर्ष 2020 के जनवरी के दूसरे सप्ताह में यह महसूस किया जाने लगा था कि चीन के वुहान में एक नए वायरस की वजह से लोगों को निमोनिया हो रहा है। आज जिसे हम ‘ कोविड – 19 ‘ के नाम से जानते हैं, उस वक़्त इसे ‘नॉवेल कोरोनावायरस’ कहा गया। ग्यारह जनवरी को चीन ने पहली बार दुनिया को यह बताया कि उसके एक 61 वर्षीय नागरिक की इस वायरस के चपेट में आने से मौत हो गई। इक्कीस जनवरी को फिर अमेरिका से यह खबर आई कि वुहान से लौटे उसके वाशिंगटन राज्य के एक नागरिक में इस नए वायरस से संक्रमित होने की पुष्टि हुई है। एक दिन पहले यानी 20 जनवरी को जापान, दक्षिण कोरिया और थाईलैंड ने भी अपने यहां इस वायरस के पहुंचने का समाचार दिया था। फिर खबर आई कि इस वायरस से बचने के लिए चीन ने 23 जनवरी से वुहान शहर और पूरे हूबेई प्रांत में लॉकडाउन लगा दिया है। उसके बाद 30 जनवरी, 2020 को विश्व स्वास्थ्य संगठन ने चीन से शुरू होने वाली इस आपदा को ” पब्लिक हेल्थ इमरजेंसी ऑफ इंटरनेशनल कंसर्न (अंतरराष्ट्रीय चिंता वाली लोक स्वास्थ्य आपदा) ” घोषित किया। उसके बाद दुनिया भर से इस वायरस से संबंधित समाचार आने लगे। ग्यारह फरवरी, 2020 को विश्व स्वास्थ्य संगठन ने इस नावेल कोरोनावायरस को ‘ कोविड – 19 ‘ नाम दिया जो ‘ कोरोनावायरस डिजीज ऑफ 2019 ‘ का संक्षिप्त रूप है।
बहरहाल, उसके बाद तो पूरी दुनिया इस महामारी से परिचित होती चली गई।
बहरहाल, इस महामारी से जुड़ी चिंताएं और उद्विग्नता का हमारे ऊपर बहुत व्यापक असर हो सकता है। ऊपर से इस महामारी से बचने के लिए सोशल डिस्टेंसिंग यानी सामाजिक तौर पर दूरी बनाए रखना बेहद जरूरी है। फलस्वरूप, आजकल हमें जिस भय और सतर्कता के साथ अपना समय बिताना पड़ रहा है, उससे हमारा मानसिक स्वास्थ्य कुप्रभावित हो सकता है। इस महामारी के साथ वर्तमान में जुड़ी ‘ अनिश्चितिता ‘, इसकी वजह से दिनचर्या में होने वाले अनचाहे बदलाव, आर्थिक दबाव और समाज से दूरी बनाए रखने की मजबूरी – ये सभी घटक हमारी सोच का हिस्सा बनकर ऐसे मानसिक दबावों को पैदा कर सकते हैं जो हमें अंततः अवसाद की तरफ ले जा सकते हैं। आज किसी को थोड़ी सी भी अस्वस्थता महसूस होती है तो वह तुरंत इस वायरस से संक्रमित होने के बारे में सोचने लगता है। कोई भी यह नहीं जानता है कि यह महामारी भविष्य में कब तक बनी रहेगी ? इस महामारी की वजह से पैदा होने वाली सूचनाओं के अंबार, इसकी वजह से पैदा होने वाली अफवाहें अथवा इससे जुड़ी गलत सूचनाएं – इन सभी से खिन्न इंसान यह नहीं सोच पाता है कि उसके लिए क्या सही और क्या गलत है।
कोविड – 19 महामारी के चलते आप अनावश्यक दबाव, उद्विग्नता, भय, दुःख और अकेलापन महसूस कर सकते हैं। परिणाम स्वरुप, आपका मानसिक स्वास्थ्य बिगड़ सकता है और आप अवसाद की तरफ बढ़ सकते हैं। ऐसे में जरूरी है कि समय रहते आप उन युक्तियों को अपनायें जो आपको शारीरिक – मानसिक दृष्टि से इन दिनों बेहतर स्थिति में बनाए रख सकती हैं। सर्वप्रथम तो आपको अपने शारीरिक स्वास्थ्य का ध्यान रखना है। संतुलित आहार लेने में कोई कोताही न करें। अपनी दिनचर्या का लॉकडाउन से तालमेल बनाएं। घर में रहने के बावजूद अपने सोने – जागने, खाने – पीने और दूसरे कार्यों को एक अनुशासन के दायरे में करें। इन दिनों नियमित रूप से व्यायाम भी करते रहें। व्यायाम से आपका तन – मन दोनों चुस्त – दुरुस्त रहते हैं। याद रहे आपको गतिशील बना रहना है। अगर हो सके तो किसी न किसी ऐसे स्थान पर सैर करते रहें जहां अन्य लोगों से वांछित दूरी बनी रहे अन्यथा घर के अंदर ही अपनी सक्रियता बनाये रखें।
आजकल जितना हो सके, फास्ट फ़ूड यानी त्वरित आहारों को न खाएं। धूम्रपान और मदिरापान से बचें। कोरोना वायरस हमारे फेफड़ों को नुकसान पहुंचता है। किसी भी दवा का इस्तेमाल तभी करें जब आपको उसकी जरूरत हो अन्यथा नहीं। चाय और कॉफी के अधिक इस्तेमाल भी उचित नहीं। कंप्यूटर, लैपटॉप, स्मार्ट फोन और टेलीविजन जैसे इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों का उपयोग भी विवेक से करें। इनकी स्क्रीन पर हर समय नजर टिकाए रखना उचित नहीं। अपनी ऊर्जा को बनाए रखने के संगीत, ध्यान, योग और उन दूसरे तरीकों का उपयोग करते रहें जो आपको सकून पहुंचाते हैं। व्यर्थ की चिंताओं से मुक्त रहें। लॉकडाउन के दौरान भी अपने उन कार्यों के लिए समय निकालें जो आपको खुशी देते हैं। दिन भर कोविड – 19 से जुड़ी खबरों में खुद को उलझाए रखना हमारे लिए उचित नहीं। इन दिनों अफवाहों और गलत सूचनाओं से बचना बेहद जरूरी है।
अपने को रचनात्मक और उपयोगी कार्यों में व्यस्त रखें। घर की साफ – सफाई के लिए आजकल हम कुछ समय आसानी से निकाल सकते हैं। कई ऐसे काम होंगे जिन्हें आप समय अभाव की वजह से अक्सर टालते रहते थे। आजकल हम ऐसे कार्य कर अपनी पीठ थपथपा सकते हैं। उद्विग्नता और बेचैनी को काबू में रखने के लिए ऐसी युक्तियां मदद करती हैं। सकारात्मक सोच हमें विपरीत परिस्थितियों में निराशा से बचाती है।
सकारात्मक विचारों पर अपना ध्यान केंद्रित करें। जिंदगी में जो कुछ आपके साथ अच्छा हो रहा है, उससे अपने उत्साह को ऊर्जा दें। जो परिवर्तन हो रहे हैं, उनसे तालमेल बैठायें। आध्यात्मिक विचारों पर मनन करें। जो विश्वास आपको अंदरूनी ताकत देते हैं, उन पर भरोसा बनाए रखें। आपद काल में धैर्य इंसान का सबसे बड़ा मित्र होता है। प्रतिदिन अपने द्वारा किये जाने वाले कार्यों की सूची बनाएं और उन्हें अंजाम तक पहुंचाने की कोशिश करें। आपके लक्ष्य युक्तिसंगत होने चाहियें। छोटी – छोटी सफलताओं में खुशी पाने की कोशिश करें और अपने को शाबाशी दें। सोशल डिस्टेंसिंग का अर्थ यह कतई नहीं है कि आप लोगों से संबंध न रखें। संचार सुविधाओं का लाभ उठाएं। यह ‘ ऑनलाइन ‘ मिलन का जमाना है। अब तो लोग इंटरनेट का उपयोग कर घर बैठे अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठियों में भाग ले सकते हैं। सामाजिक संबंधों को जीवंत बनाए रखने के लिए सोशल मीडिया का उपयोग करें। दूसरे लोगों का भी मार्ग दर्शन करें। संभव हो तो दूसरे लोगों की मदद करें। आपसे जो बुजुर्ग हैं, उनका हालचाल पूछते रहें। साथ ही स्थानीय प्रशासन द्वारा जारी दिशा निर्देशों का पालन करें। जो परिचित इस दौरान कोविड – 19 से संक्रमित होने की वजह से अस्पताल या अपने घर में ‘ एकांतवास ‘ कर रहे हों, उनसे फोन या दूसरे उपकरणों के माध्यम से संपर्क बनाए रखें। जीवन में ऐसे वक्त कभी न कभी वैसे भी आते हैं जब हमें मानसिक दबावों का सामना करना पड़ता है। हमें ऐसे दबावों का मुकाबला विवेक और धैर्य से करना चाहिए।
यह भी संभव है कि अपनी कोशिशों के बावजूद आपको लगे कि आपकी जिंदगी बोझिल होती जा रही है और आप इससे नहीं निपट सकते हैं। यदि आपको कभी ऐसा लगे तो अपने विचारों से अपने परिवार के सदस्यों और मित्रों को अवगत करायें। हमें याद रखना चाहिए कि समस्याओं को छुपाने से उनके समाधान नहीं मिला करते हैं। समस्याओं को साझा करने से ही हमें वक्त जरूरत मदद मिल सकती है। ‘ रहिमन निज मन की व्यथा, मन ही राखो गोय ‘ बीते जमाने की बात है। आज हमारे सामने जो संकट है, वह हमारा अकेले का नहीं है। यह एक वैश्विक संकट है और इससे आपसी सलाह – मशविरा से ही निपटा जा सकता है। एक बात और। पिछले दो वर्षों से यहां अमेरिका में रहते हुए मुझे यह देखकर ताज्जुब होता है कि फेसबुक में दिलचस्पी रखने वाले मेरे कुछ मित्र जो इस वक्त भारत में हैं, देर रात में भी मेरी पोस्ट लाइक करते हैं या उन पर कमेंट करते हैं। मैंने अनुमान लगाया कि ऐसा कोविड – 19 के संक्रमण के बाद होना शुरू हुआ। इसका अर्थ है कि इस महामारी के चलते लोग ठीक से नहीं सो पा रहे हैं। यह मानसिक स्वास्थ्य के हिसाब से उचित नहीं है। भारत हो या अमेरिका या फिर दुनिया की कोई भी जगह, आप अपने सोने और जागने के समय को नियमित बनाए रखें। कोविड – 19 से इतनी जल्दी मुक्ति मिलने वाली नहीं है। इसलिए हमें अपने को सभी तरह से स्वस्थ रखना होगा। याद रहे शारीरिक स्वास्थ्य हो या मानसिक स्वास्थ्य, पर्याप्त नींद दोनों के लिए बेहद जरूरी है।