Claims to Solve the Black Hole Information Paradox

क दशक के लंबे शोध के बाद हाल ही में भौतिक विज्ञानियों ने दो शोधपत्रों के माध्यम से स्टीफन हॉकिंग के बहुचर्चित ब्लैक होल सूचना विरोधाभास (इन्फॉर्मेशन पैराडॉक्स) की पहेली को सुलझाने का दावा किया है। ब्लैक होल अंतरिक्ष में मौजूद वे क्षेत्र हैं, जिनकी गुरुत्वाकर्षण शक्ति इतनी प्रबल होती है कि उनकी गिरफ्त से प्रकाश की किरणों का भी बच निकलना असंभव होता है। जब विशालकाय तारों का हाइड्रोजन और हीलियम रूपी ईंधन खत्म हो जाता है, तब उन्हें फैलाकर रखने वाली ऊर्जा भी खत्म हो जाती है। ऐसे में अत्यधिक गुरुत्वाकर्षण के कारण वे सिकुड़कर अत्यधिक सघन पिंड- ब्लैक होल बन जाते हैं।

ब्लैक होल के बारे में हमारी वर्तमान समझ काफी हद तक स्टीफन हॉकिंग (Stephen Hawking) के शोधकार्यों पर आधारित है। हॉकिंग ने 1974 में आइंस्टाइन (Albert Einstein) के सामान्य आपेक्षिकता सिद्धांत (theory of general relativity) और क्वांटम यान्त्रिकी (quantum mechanics) के सिद्धांतों के आधार पर यह दर्शाया कि ब्लैक होल पूरे काले नही होते, बल्कि वे अल्प मात्रा में विकिरणों को उत्सर्जित करतें हैं। लेकिन हॉकिंग की यह अवधारणा अपने पीछे एक जटिल पहेली छोड़ गई। अगर ब्लैक होल विकिरणों को उत्सर्जित करतें हैं, तो वे आखिरकार वाष्प बनकर नष्ट हो जाएंगे। तो इस स्थिति में उस सारी सूचना का क्या होगा, जो इवैंट होराइजन से होकर ब्लैक होल में गिरी थीं? क्या वह सूचना भी नष्ट हो जाएगी? यदि ऐसा है, तो क्वांटम यांत्रिकी और उष्मागतिकी के सिद्धांतों (principles of thermodynamics) का उल्लंघन होगा जिनके मुताबिक ऊर्जा नष्ट नहीं हो सकती। लेकिन यदि ऐसा नहीं होता यानि यह सूचना ब्लैक होल के चंगुल से मुक्त हो जाती है, तो यह आपेक्षिकता सिद्धांत का उल्लंघन होगा। ब्लैक होल विकिरण उत्सर्जन की खोज के साथ ही हॉकिंग ने भौतिकी के दो आधार स्तंभों को एक-दूसरे के विरुद्ध खड़ा कर ‘ब्लैक होल सूचना विरोधाभास’ (black hole information paradox) की गुत्थी को जन्म दिया।

Claims to Solve the Black Hole Information Paradox
ब्लैक होल के बारे में हमारी वर्तमान समझ काफी हद तक स्टीफन हॉकिंग के शोधकार्यों पर आधारित है।

नए अध्ययन में भौतिक विज्ञानियों ने कहा है कि अब तक हम जितना समझते थे ब्लैक होल उससे कहीं अधिक जटिल और रहस्यमय पिंड हैं। ब्लैक होल के पास प्रबल गुरुत्वाकर्षण शक्ति होती है और क्वांटम स्तर पर उसमें यह सूचना संग्रहीत होती है कि वह कैसे बना है। विज्ञानियों ने एक दशक से अधिक लंबे समय के शोध का उपयोग करते हुए पाया कि जब क्वांटम गुरुत्वाकर्षण सुधारों को ध्यान में रखा जाता है तो ब्लैक होल में गिरने वाला पदार्थ ब्लैक होल के गुरुत्वाकर्षण क्षेत्र में छाप छोड़ जाता है। ‘फिजिक्स लैटर्स बी’ जर्नल में प्रकाशित पहले शोधपत्र में ससेक्स यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर जेवियर काल्मेट ने इस छाप को क्वांटम हेयर नाम दिया है। काल्मेट और उनकी टीम ने दर्शाया है कि ब्लैक होल अपने प्रबल गुरुत्वाकर्षण क्षेत्र में छाप या निशान छोड़ता है। उन्होंने दो तारों के गुरुत्वाकर्षण क्षेत्र की तुलना की जिनका कुल द्रव्यमान और आकार तो समान था, लेकिन उनकी संरचना भिन्न थी। जब तारे ब्लैक होल के रूप में में संकुचित होते हैं, तब उनका गुरुत्वार्षण क्षेत्र यह याद रखता है कि ब्लैक होल किससे बना है। काल्मेट और उनकी टीम के अध्ययन का निष्कर्ष यही है कि ब्लैक होल में हेयर होता है यानि ब्लैक होल में स्मरण शक्ति होती है और उनमें सूचनाएँ नष्ट नहीं होती हैं।

गुरुत्वाकर्षण का क्वांटमीकरण  (Quantumization of Gravity) यह सुझाव देता है कि ब्लैक होल में गिरने वाला पदार्थ ब्लैक होल के गुरुत्वाकर्षण क्षेत्र पर निशान छोड़ता है, इसी निष्कर्ष के साथ फिजिकल रिव्यू लेटर्स जर्नल में प्रकाशित दूसरा शोध पत्र भी स्टीफन हॉकिंग के बहुचर्चित ब्लैक होल सूचना विरोधाभास को सुलझाने का दावा करता है। (विज्ञान के जानकार)

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