वाशिंगटन, एएनआइ : एक नए अध्ययन में बताया गया है कि उच्च स्तर की जैव विविधता (Biodiversity)से पक्षियों के विलुप्त होने का खतरा कम होता है। प्रसिद्ध विकासवादी जीव विज्ञानी (evolutionary biologist) तथा पक्षी विशेषज्ञ ब्रियान वीक्स के नेतृत्व में किया गया अध्ययन ईकोलाजी लेटर्स जर्नल में प्रकाशित हुआ है।

इस पर हुए पहले के अध्ययनों में यह बताया जा चुका है कि जैव विविधता अल्पावधि में अनुमानित परिणामों से जुड़ी है। विविधतापूर्ण सिस्टम (diversified system) पर हमले का जोखिम कम होता है और उसके घटकों में ज्यादा स्थायित्व होने के साथ ही वे रोगों के प्रति अधिक प्रतिरोधी होते हैं। इससे उनकी उत्तरजीविता (survival) को मजबूत आधार मिलता है।

इस नए अध्ययन में शोधकर्ताओं ने नेचुरल हिस्ट्री म्यूजियम के स्पेसमन (नमूने) से डाटा का संकलन किया है। इनमें दुनियाभर के पक्षियों के 99 प्रतिशत प्रजातियां शामिल हैं। वैसे तो नेचुरल हिस्ट्री म्यूजियम के नमूने का इस्तेमाल आम है, लेकिन ऐसा पहली बार हुआ है कि सभी पक्षियों के फंक्शनल ट्रेट्स संबंधी व्यापक डाटा को लेकर शोध किया गया है।

शोधकर्ताओं ने इस डाटा की मदद से दुनियाभर में पक्षियों की विविधताओं का आकलन किया है। इसमें समुदाय में पाई जाने वाली प्रजातियों और उनके विकासानुक्रम के संबंध व फंक्शनल ट्रेट्स (कार्यात्मक लक्षणों) को शामिल किया गया। इसके बाद उन्होंने उनकी विविधता और विलुप्त होने के जोखिम के आकलन के लिए संरचनात्मक समीकरण माडल का इस्तेमाल किया। इस कारण यह अध्ययन खास है।

अध्ययन के अनुसार, विविधता पक्षियों में समकालीन विलुप्त होने के निम्न स्तर के जोखिम से जुड़ी है। इसके साथ ही ये विलुप्त होने के जोखिन वाले विभिन्न समुदायों को सुरक्षा भी प्रदान करते हैं। इसमें शरीर का बड़ा आकार, कमजोर प्रसार क्षमता भी कारक होते हैं, जो विलुप्त के कारण हो सकते हैं। हालांकि यह भी पाया गया कि विविधताएं उन्हें विलुप्त होने से सुरक्षा प्रदान करती हैं और इसके कारण उनका अस्तित्व बना रहता है।

शोधकर्ताओं का मानना है कि इसके निष्कर्ष विविधताओं को संरक्षित रखने के महत्व को रेखांकित करते हैं। वीक्स ने कहा कि हम जानते हैं कि जैव विविधता पारिस्थितिकी तंत्र का कार्यक्षमता को प्रभावित करती है, लेकिन इसके बारे में बहुत कम जानकारी है कि इन विविधताओं का पारिस्थितिकी तंत्र (Ecosystem) की कामकाजी क्षमता से किस प्रकार का संबंध है और ये विलुप्त होने का जोखिम पैदा करते हैं।

उन्होंने कहा कि हमारे अध्ययन के निष्कर्ष बताते हैं कि जैव विविधता का संरक्षण सिर्फ उन्हें बचाए रखने के उद्देश्य से ही नहीं किया जाना चाहिए, बल्कि उसके लिए जरूरी घटक के प्रभावी संरक्षण को बढ़ावा देने के निमित्त उसमें हस्तक्षेप भी किया जाना चाहिए।

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