
हाल ही में अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी ‘नासा’ और यूरोपीयन स्पेस एजेंसी (ईएसए) के संयुक्त शोध ने तारों के विकासक्रम की मौजूदा अवधारणा को चुनौती दी है। हब्बल अंतरिक्ष दूरबीन की सहायता से खगोलशास्त्रियों ने यह पता लगाया है कि श्वेत वामन तारों में तापनाभकीय ऊर्जा के सभी स्रोतों का अभाव नहीं होता है। इसका स्पष्ट अर्थ यही निकलता है कि उनके खत्म होने के समय के बारे में जितना पहले समझा जा रहा था वे उससे कहीं अधिक समय लगाते हैं। लब्बोलुबाब यह है कि वे पहले की जानकारी की तुलना में धीरे-धीरे बूढ़े होते हैं।
श्वेत वामन उन ठंडे होते उन तारों को कहा जाता है जिनका भार कम हो जाता है और उनकी बाहरी खोल खत्म होकर तारे को उसके जीवन की अंतिम अवस्था में ला देती है। यह स्थिति कभी ना कभी हमारी अपनी आकाशगंगा-दुग्धमेखला (मिल्की-वे) के 98 प्रतिशत तारों की होगी जिसमें हमारा सूर्य भी सम्मिलित है।
इन चमकीले खगोलीय पिंडों के विकासक्रम के अध्ययन से खगोलशास्त्रियों को न सिर्फ श्वेत वामन तारों की ठंडी अवस्थाओं की जानकारी मिली है, बल्कि वे उनके विकास की प्रारम्भिक स्थितिओं के बारे में पता लगा पाते हैं। इस अध्ययन में वैज्ञानिकें ने दो बड़े तारासमूहों (तारागुच्छों) एम-3 और एम-13 का अध्ययन किया। वे श्वेत वामन तारों के विकास के पीछे चल रही भौतिक प्रक्रिया की जांच-पड़ताल करने को इच्छुक थे।
इन दोनों तारासमूहों की भौतिक विशेषताएं काफी मिलती जुलती हैं। इसमें उनकी आयु, हाइड्रोजन और हीलियम की तुलना में अन्य भारी तत्वों की मात्रा, जिसे धात्विकता भी कहते हैं, सम्मिलित है। लेकिन उन तारों की आबादी जो श्वेत वामन तारों में बदल जाते हैं, एक-दूसरे काफी अलग होते हैं। एम-13 तारासमूह की क्षैतिज शाखा के तारे आमतौर पर ज्यादा नीले रंग के होते हैं जिससे पता चलता है कि उनका तापमान ज्यादा होता है।
हमारा सूर्य 4.6 अरब साल पुराना है। जब वह अपना सभी हाइड्रोजन खत्म कर देगा तो वह एक विशाल लाल दानव तारे में बदल जाएगा और बुध, शुक्र और पृथ्वी को निगल कर आकार बढ़ा लेगा। इसके बाद उसकी बाहरी खोल खत्म हो जाएगी और उसकी क्रोड़ ही शेष रह जाएगा। तब यह धीरे-धीरे ठंडा होकर श्वेत वामन तारे में बदल जाएगा जिसका आकार तो पृथ्वी के जितना ही होगा लेकिन भार सूर्य के जितना होगा!
शोधकर्ताओं ने हब्बल दूरबीन के वाइड एंगल कैमरा-3 का इस्तेमाल कर दोनों तारासमूहों के 700 श्वेत वामन तारों की तुलना की। उन्होंने पाया कि एम-3 में सामान्य श्वेत वामन हैं, जो तारों के क्रोड़ को ठंडा कर रहे हैं। वहीं एम-13 में श्वेत वामन तारों की दो अलग ही तरह की आबादी देखने को मिली है। इन दो श्वेत वामनों में से एक तो मानक श्वेत वामन हैं, लेकिन दूसरे किसी तरह से हाइड्रोजन की बाहरी खोल को कायम रखने में सफल रहे हैं। इससे वे ज्यादा देर तक जल सकते हैं और ठंडे भी ज्यादा धीरे होंगे यानी उनकी आयु ज्यादा होगी। कंप्यूटर मॉडल्स के जरिए शोधकर्ताओं ने पता लगाया कि एम-13 के 70 प्रतिशत श्वेत वामन तारे अपनी सतह की हाइड्रोजन को अब भी जला रहे हैं जिससे उन्होंने अपनी उम्र की प्रक्रिया को धीमा कर लिया है। नेचर एस्ट्रोनॉमी जर्नल में प्रकाशित यह खोज इसलिए अहम है क्योंकि यह तारों की उम्र के मामले में अब तक हमारे वैज्ञानिकों के अनुमानों को गलत साबित करती है।